vartani in hindi: भाषा को शुद्ध रूप में लिखने के लिए वर्तनी का प्रयोग अति आवश्यक होता है. यदि वर्तनी सही ना हो तो किसी शब्द का अर्थ ही बदल जाता है।
हिंदी व्याकरण के इस अध्याय में आज हम लोग समझेंगे कि वर्तनी किसे कहते हैं, शुद्ध वर्तनी का क्या अर्थ है।
इसके साथ साथ हम लोग वर्तनी शुद्धि के नियम तथा शुद्ध अशुद्ध शब्दों(shudh ashudh shabd) को उदाहरण सहित देखने वाले हैं ।
चलिए सबसे पहले समझते हैं कि वर्तनी किसे कहा जाता है?
वर्तनी की परिभाषा
किसी भाषा के शब्दों को शुद्ध या अशुद्ध लिखने के ढंग को वर्तनी कहते हैं। अंग्रेजी में वर्तनी को स्पेलिंग तथा उर्दू भाषा में हिज्जे कहा जाता है।
हिंदी भाषा कैसे बोली जाती है वैसे ही लिखी जाती है। लेकिन लिखते समय कई बार अशुद्धियां हो जाती हैं ।वर्तनी और उच्चारण एक दूसरे पर आश्रित होते हैं।
चलिए यहां पर उच्चारण को समझ लेते हैं।
उच्चारण – भाषा के शब्दों या अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है। उच्चारण और वर्तनी एक दूसरे के पूरक होते हैं। यदि उच्चारण अशुद्ध होगा तो वर्तनी भी अशुद्ध होगी ।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि-
जब किसी शब्द में किसी भाव को बताने के लिए जितने वर्ण या अक्षर जिस क्रम में प्रयोग किये जाते हैं, उन्हें उसी क्रम में लिखने को वर्तनी कहते है।
वर्तनी के उदाहरण
‘ख’ को लिखते समय यह ध्यान देना चाहिए कि इसे ‘रव’ ना लिखें अन्यथा शब्द का अर्थ भी बदल जाएगा; जैसे-
खाना – भोजन करना
रवाना – प्रस्थान करना / चले जाना
इस प्रकार आपने देखा कि शब्द को लिखते समय यदि वर्णों को सही ना लिखा जाए तो उस शब्द का अर्थ ही बदल जाता है।
वर्तनी का महत्व
किसी भाषा की एकरूपता बनाए रखने के लिए तथा जनमानस के भाषा प्रयोग में होने वाली विकृतियों से बचने के लिए वर्तनी का प्रयोग अति आवश्यक है और इसका प्रयोग सभी के लिए अनिवार्य है ।
चलिए समझते हैं की वर्तनी शब्द का हिंदी अर्थ क्या होता है ?
शुद्ध वर्तनी का क्या अर्थ है
शुद्ध वर्तनी का अर्थ है – शब्दों में मात्राओं का सही प्रयोग करके सही शब्द लिखना। जैसे अकाश – आकाश, इद – ईद, उष्मा- ऊष्मा आदि।
वर्तनी शब्द का अर्थ होता है पीछे पीछे चलना या अनुसरण करना । भाषा स्तर पर वर्तनी शब्दों के ध्वनियों के पीछे पीछे चलती है और वर्तनी शब्द विशेष के लेखन में उस शब्द की एक-एक करके आने वाली ध्वनियों के लिपि चिन्ह निर्धारित करती है ।
लिखते समय कई बार हम लोगों से वर्तनी संबंधी अशुद्धियां हो जाती हैं । तो चलिए यहां पर हम लोग हिंदी भाषा के वर्तनी शुद्धि के नियम को समझते हैं ।
वर्तनी शुद्धि / सुधार के नियम
हिंदी एक सरल भाषा है, किंतु उच्चारण के आधार को नहीं समझने तथा ग्राम के कारण भाषिक अशुद्धियां होती हैं। हिंदी में वर्ण, प्रत्यय, लिंग, संधि, अनुस्वार तथा अनुनासिक जैसी अशुद्धियां सामने आती हैं।
समझ तथा अभ्यास के जरिए ऐसी अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। आइए यहां पर हम कुछ नियम को समझते हैं जिससे वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को दूर किया जा सके।
- शिरोरेखा – कुछ वर्ण ऐसे होते हैं जिनके ऊपर शिरोरेखा तोड़ी जाती है, चाहे वे वर्ण शब्द के बीच में ही क्यों ना आए हो । वे वर्ण हैं- अ, थ, ध, भ, क्ष, श, श्र । जैसे- अधर्मी, कक्ष, कभी, अन्यथा आदि।
- जिन व्यंजनों के अंत में खड़ी पाई होती है तो उन्हें जब दूसरे व्यंजनों के साथ जोड़ते हैं तो या खड़ी पाई हटा दी जाती है जैसे- तथ्य । इस शब्द में थ के खड़ी पाई (ा) को हटाकर य के साथ जोड़ा गया है।
वर्ण और मात्रा संबंधी अशुद्धियां
- न और ण संबंधी अशुद्धियां- ष, र, ऋ के बाद न हमेशा ण हो जाता है, चाहे यह न ठीक इन के बाद हो अथवा इन वर्णों और न के बीच कोई वर्ण ( क वर्ग, प वर्ग, य, व, ह में से कोई एक वर्ण या कई वर्ण ) हो ; जैसे- चरण, हरन, गुण आदि।
- श और ष संबंधी अशुद्धियां – इनका उच्चारण क्रम तालु और मूर्धा से होता है, अतः इनका नाम भी क्रमशः तालव्य तथा मूर्धन्य है। संधि युक्त शब्दों में क, ख, ट, ठ, प, फ से पहले ष आता है जैसे- निष्ठा, निष्फल, कनिष्क आदि।
- संस्कृत शब्दों में च, छ से पहले श आता है; जैसे – निश्चय, निश्छल आदि।
- छ और क्ष सम्बन्धी अशुद्धियां – क्ष क और ष के योग से बनता है। इनका अधिक प्रयोग तत्सम शब्दों में ही होता है। उच्चारण की अशुद्धि के कारण इनमें प्रायर अशुद्धियां होती रहती हैं। इन से संबंधित अधिक प्रचलित शब्द नीचे दिए गए हैं ।
- छ वाले शब्द – छल, छात्र, छिन्न, छिद्र, अच्छा, स्वच्छ, तुच्छ आदि ।
- क्ष वाले शब्द – क्षमा, क्षत्रिय, क्षय, क्षण, क्षार, क्षेत्र, अक्ष, वृक्ष ,कक्ष आदि।
- बी और व संबंधी अशुद्धियां – इनके विषय में कोई विशेष नियम नहीं है। पढ़ते और बोलते समय उच्चारण पर ध्यान देने से यह अशुद्धियों दूर हो सकती हैं।
- ऋ और रि संबंधी अशुद्धियां- संस्कृत शब्दों के अतिरिक्त ऋ का प्रयोग नहीं होता है। ऋषि, ऋक्ष ,ऋतू,ऋण, गृह आदि हैं। हिंदी में इन्हे गृह(घर), भ्राता(भाई), मात्र(केवल), प्रथा(रीति) आते है, इनको अर्थ और उच्चारण सहित समझ लेना चाहिए ।
- ये और ए संबंधी अशुद्धियां- हिंदी में कुछ शब्दों के दो रूप व्यवहार में आते हैं जैसे – रूपये और रुपए , लिए और लिये आदि। इनके निर्णय करते समय इनके मूल रूप ध्यान देना चाहिए। यदि अव्यय है तो लिए ही शुद्ध है, इसी प्रकार चाहिए में ये का उच्चारण स्पष्ट रूप से ना होने कारण ए ही लिखना चाहिए।
- यी और ई संबंधी अशुद्धियां – हिंदी में गई, गयी आदि दोनों ही लिखे जाते हैं । हालांकि स्वर वर्ण वाला शब्द काफी उपयुक्त है परंतु हिंदी में दोनों प्रयोग किया जाता है ।
- वा और आ संबंधी अशुद्धियां – हुवा, खोवेगा, जावो आदि अशुद्ध है। इनके स्थान पर क्रमशः हुआ, खाएगा, जाओ लिखना चाहिए ।
- विदेशी शब्द संबंधी अशुद्धियां – विदेशी शब्दों को तत्सम रूप में ना लिखकर तद्भव रूप में लिखना चाहिए तथा उनमें अपनी भाषा के प्रत्यय लगाना चाहिए। जैसे- लैनटर्न को लालटेन ही लिखना चाहिए।
- अनुस्वार संबंधी अशुद्धियां – जब अनुस्वार के बाद किसी भी वर्ग का कोई भी वर्ण आता है तब अनुस्वार के स्थान पर विकल्प के सामने वाले वर्ण के वर्ग का पांचवा वर्ण हो जाता है जैसे गंगा – गग्ङा ।
- इस नियमानुसार यदि अनुस्वार के बाद म, य, र, ल, व, श, ष, क्ष, ह में से कोई वर्ण आता है तो अनुस्वार नहीं बदलता जैसे- संयम, संयोजक आदि ।
- अनुस्वार और चंद्रबिंदु संबंधी अशुद्धियां – यदि उच्चारण खींचकर किया जाता है तो अनुस्वार (ं) तथा यदि उच्चारण हल्का होता है तो चंद्रबिंदु (ँ) का प्रयोग होता है । जैसे-
- अनुस्वार वाले शब्द – अंक, दंत, पंक, रंक बंक आदि।
- चन्द्रबिन्दु वाले शब्द – आँख, गेंहूँ, हँसना, पहुँचना आदि।
लिंग सम्बन्धी अशुद्धियाँ –
- सम्बन्ध की विभक्ति के बाद यदि कोई समस्त पद आये , जिसमें दो परस्पर भिन्न लिंग वाले शब्द हों तो सम्बन्ध की विभक्ति का वही लिंग होगा जो समस्त पद में पश्चात वाले शब्द का है। जैसे – आपकी इच्छानुसार कार्य नहीं होता । इस वाक्य में इच्छानुसार एक समस्त पद है । इसमे दो शब्द हैं- इच्छा + अनुसार । इच्छा शब्द स्त्रीलिंग है और अनुसार पुलिंग । बाद में अनुसार है; इसलिये उसी के अनुसार ‘आपके’ पुलिंग होगा।
- इसलिये ऊपर के वाक्य का शुद्ध रूप ये होगा- आपके इच्छानुसार कार्य नहीं होता ।
प्रत्यय सम्बन्धी अशुद्धियाँ –
- भाववाचक संज्ञा बनाने वाले ‘त्व’ , ‘ता’ आदि प्रत्ययों के बाद ईएसआई प्रकार के प्रत्ययों को लगाना अशुद्ध है, अतः सौंदर्य अथवा सुंदरता तो शुद्ध है, किंतु सौन्दर्यता अशुद्ध है ।
- किसी विशेषण के बाद विशेषण बना देने वाले प्रत्यय नहीं लगाना चाहिए। जैसे – अभिष्टित – अभीष्ट, एकत्रित – एकत्र आदि।
इस प्रकार हम लोगों ने वर्तनी शुद्धि के नियम को विस्तार से जाना। चलिए शुद्ध वर्तनी वाले शब्दों को समझते हैं जो अधिकांशत प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते हैं।
शुद्ध अशुद्ध शब्द इन हिंदी (shudh ashudh shabd in hindi)
प्रायः लोग जिन शब्दों के उच्चारण एवं वर्तनी में अशुद्धियां करते हैं, उन शब्दों के अशुद्ध और शुद्ध रूप आगे तालिका में दिए जा रहे हैं ।
यदि आप चाहे तो इनकी सूची की pdf डाउनलोड कर सकते हैं जिसका लिंक निचे दया गया है ।
वर्तनी की जाँच करने के लिए कई app और software आते है जिसके जरिये आप अपनी वर्तनी को बिल्कुल आसानी से और तेजी से ठीक कर सकते हैं।
स्वर सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अ और आ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध | अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|---|---|
अकाश | आकाश | नदान | नादान |
अगामी | आगामी | नराज | नाराज |
अवाज | आवाज | सप्ताहिक | साप्ताहिक |
अविष्कार | आविष्कार | संसारिक | सांसारिक |
अशीर्वाद | आशीर्वाद | दुरावस्था | दुरवस्था |
अहार | आहार | बारात | बरात |
आजकाल | आजकल | हाथिनी | हथिनी |
आधीन | अधीन | बदाम | बादाम |
ढाकना | ढकना | व्यवसायिक | व्यावसायिक |
अनाधिकार | अनधिकार | तत्कालिक | तात्कालिक |
इ और ई सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
आशिर्वाद | आशीर्वाद |
इसाई | ईसाई |
इद | ईद |
दिवाली | दीवाली |
तिर्थ | तीर्थ |
पत्नि | पत्नी |
पिढ़ी | पीढ़ी |
अतिथी | अतिथि |
अभीनेता | अभिनेता |
पुत्रि | पुत्री |
उ और ऊ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
गुरू | गुरु |
उधम | ऊधम |
उष्मा | ऊष्मा |
दुसरा | दूसरा |
धूआं | धुआं |
वधु | वधू |
दूकान | दुकान |
साधू | साधु |
दूबार | दुबारा |
रूपया | रुपया |
नेहरु | नेहरू |
तुफान | तूफान |
ऋ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
रिणी | ऋणी |
त्रितीय | तृतीय |
पैत्रिक | पैतृक |
उरिण | उऋण |
रितु | ऋतु |
रिषी | ऋषि |
रिगवेद | ऋग्वेद |
ए और ऐ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
जेसा | जैसा |
एक्ट | ऐक्ट |
टेक्स | टैक्स |
चाहिऐ | चाहिए |
फैंकना | फेंकना |
वेश्य | वैश्य |
वैश्या | वेश्या |
मेसूर | मैसूर |
देहिक | दैहिक |
भाषाऐं | भाषाएँ |
मेनेजर | मैनेजर |
ओ और औ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
अलोकिक | अलौकिक |
नोकरी | नौकरी |
ओरत | औरत |
गोतम | गौतम |
दौना | दोना |
गोरव | गौरव |
ओद्योगिक | औद्योगिक |
त्यौहार | त्योहार |
प्रोढ़ | प्रौढ़ |
पोरुष | पौरुष |
लौहार | लोहार |
अनुस्वर (ं) और चन्द्र बिंदु (ँ) सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
गूंगा | गूँगा |
आंख | आँख |
ऊंचा | ऊँचा |
उंगली | उँगली |
गूंज | गूँज |
मुंह | मुँह |
दांत | दाँत |
बांध | बाँध |
महंगा | महँगा |
झांसी | झाँसी |
पांख | पाँख |
विसर्ग (ः) सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
दुख | दुःख |
निस्वार्थ | निःस्वार्थ |
निशुल्क | निःशुल्क |
प्राय | प्रायः |
प्रातकाल | प्रातःकाल |
मनस्थिति | मनःस्थिति |
व्यंजन सम्बन्धी अशुद्धियाँ
छ और क्ष सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
छन | क्षण |
छय | क्षय |
छमा | क्षमा |
आकांछा | आकांक्षा |
छीण | क्षीण |
नछत्र | नक्षत्र |
रच्छा | रक्षा |
संछेप | संक्षेप |
ज और य सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
जदी | यदि |
जमुना | यमुना |
जम | यम |
जुवती | युवती |
जोग | योग |
जुवा | युवा |
ट और ठ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कुष्ट | कुष्ठ |
गोष्टी | गोष्ठी |
मुठठी | मुट्ठी |
घनिष्ट | घनिष्ठ |
संतुष्ठ | संतुष्ट |
पृष्ट | पृष्ठ |
चेष्ठा | चेष्टा |
श्रेष्ट | श्रेष्ठ |
परिशिष्ठ | परिशिष्ठ |
ड एवं ङ तथा ढ एवं ढ़ सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
पडता | पड़ता |
पेड | पेड़ |
कन्नड | कन्नड़ |
क्रीडा | क्रीड़ा |
झाडू | झाड़ू |
पढता | पढ़ता |
ढ़कना | ढकना |
मेंढ़क | मेंढक |
ण और न सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
प्रार्थणा | प्रार्थना |
कल्यान | कल्याण |
गुन | गुण |
प्रनाम | प्रणाम |
प्रमान | प्रमाण |
प्रान | प्राण |
विना | विणा |
श्रवन | श्रवण |
ब और व सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
नबाब | नवाब |
पूर्ब | पूर्व |
ब्यय | व्यय |
ब्यापार | व्यापर |
कामयावी | कामयाबी |
दबदवा | दबदबा |
बिकट | विकट |
बिमल | विमल |
बिष | विष |
बीबी | बीवी |
पंचमाक्षर (ड़ ञ ण न म ) सम्बन्धीअशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
कन्ठ | कण्ठ |
अन्ग | अंग |
झन्डा | झण्डा |
पन्खा | पंखा |
चन्चल | चंचल |
कुन्डली | कुण्डली |
श , ष और स सम्बन्धी अशुद्धियाँ
अशुद्ध | शुद्ध |
---|---|
दुश्कर्म | दुष्कर्म |
पुश्प | पुष्प |
भ्रश्ट | भ्रष्ट |
अमावश्या | अमावस्या |
नमश्कार | नमस्कार |
प्रशन्न | प्रसन्न |
प्रसंसा | प्रशंसा |
आसा | आशा |
कुसलता | कुशलता |
संतोश | संतोष |
हर्श | हर्ष |
हिंदी वर्तनी से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर [FAQ]
श्रृंगार शब्द का शुद्ध रूप क्या है
वर्तनी के अनुसार श्रृंगार का शुद्ध रूप शृंगार होगा क्योकि शृ = श् + ऋ (ृ) से मिलकर बनता है। जबकि श्र = श् + र + अ से मिलकर बनता है।
यदि श्रृ = श् + र् + ऋ की मात्रा(ृ) = श् + रृ लिखें तो, ऐसा लिखना सही नहीं माना जाता है क्योंकि र में (ृ) की मात्रा नहीं लगती है। देवनागरी में श्र में (ृ) की मात्रा लगाना सही नहीं माना गया है। इसलिये श्रृंगार शब्द को शुद्ध रूप में शृंगार लिखते हैं।
शुद्ध वर्तनी का क्या अर्थ है
शुद्ध वर्तनी का मतलब होता है किसी शब्द के वर्णों में सही मात्रा का प्रयोग करना।
मुझे उम्मीद है की आज के इस हिंदी वर्तनी (vartani in hindi) के इस लेख में आप लोग वर्तनी की परिभाषा, शुद्ध वर्तनी का क्या अर्थ है, वर्तनी के उदाहरण तथा वर्तनी शुद्धि के नियम को अच्छे से समझे होंगे। इसके साथ साथ शुद्ध अशुद्ध शब्द हिंदी में (shudh ashudh shabd in hindi) तथा शुद्ध वर्तनी शब्द उदाहरण सहित समझाया गया है जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
यदि आपको कोई भी सुझाव या कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके हमें बता सकते हैं। हम आपके सवालों का जवाब जरूर देंगे ।