vyakaran ke kitne ang hote hain: क्या आप हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं ? यदि हां तो आपको इस पोस्ट को अंत तक पढ़ना होगा। इस पोस्ट में हम निम्नलिखित टॉपिक को पढ़ेंगे जैसे-
- व्याकरण किसे कहते हैं
- व्याकरण के कितने अंग होते हैं
- सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण
- हिंदी व्याकरण के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
यह पोस्ट हिंदी व्याकरण (Hindi vyakaran) category का पहला पोस्ट है। यहां से शुरुआत करके आप संपूर्ण हिंदी व्याकरण को क्रम से सीख सकते हैं। सभी टॉपिक को उदाहरण सहित बिल्कुल आसान भाषा में समझाया गया है। आपको इधर उधर भटकने की जरूरत नहीं है।
चलिए अब देख लेते हैं कि व्याकरण किसे कहते हैं (vyakaran kise kahate hain) ?
व्याकरण की परिभाषा (vyakaran ki paribhasha)
व्याकरण तीन शब्दों – वि + आ + करण से मिलकर बना है ,जिसका अर्थ है – “भली- भाँति समझना”। तो हम कह सकते हैं कि व्याकरण वह कला है जिसकी सहायता से हम किसी भाषा को शुद्ध बोल सकते हैं, पढ़ सकते हैं, और लिख सकते हैं ।
“विभिन्न नियमों के आधार पर भाषा को सही रूप में बोलने, लिखने अथवा पढ़ने का ज्ञान कराने वाला शास्त्र व्याकरण कहलाता है।”
व्याकरण भाषा की संरचना होती है, जिसके माध्यम से किसी भाषा का मानक रूप सामने आता है। इसका ध्यान भाषा की शुद्धता तथा परिनिष्ठिता पर अधिक होता है।
हमने समझा की व्याकरण की परिभाषा क्या होती है? चलिए अब hindi vyakaran ki paribhasha देख लेते हैं।
हिंदी व्याकरण किसे कहते हैं?
हिंदी भाषा को शुद्ध रूप में बोलने, पढ़ने और लिखने के लिए जो शास्त्र हमें नियम बताते हैं उसे ही हिंदी व्याकरण कहते हैं।
उदाहरण – ‘रमेश प्रतिदिन मोटरसाइकिल से बाजार जाती है तथा उसकी पत्नी राधिका भी उसके साथ जाता है।’
उपरोक्त वाक्य व्याकरण के अनुसार गलत है, क्योंकि रमेश पुलिंग है और राधिका स्त्रीलिंग है। इसलिए व्याकरण हमें बताता है कि यह वाक्य ऐसे होना चाहिए था- ‘रमेश प्रतिदिन मोटरसाइकिल से बाजार जाता है तथा उसकी पत्नी राधिका भी उसके साथ जाती है’
आप समझ गए होंगे कि व्याकरण किसे कहते हैं, चलिए अब यह देख लेते हैं की व्याकरण के कितने अंग है?
व्याकरण के कितने अंग होते हैं (vyakaran ke kitne ang hote hain)
व्याकरण के मुख्यतः तीन अंग होते हैं – (1. वर्ण विचार (2. शब्द विचार (3. वाक्य विचार
भाषा की मूल इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्णों से शब्द तथा शब्दों से वाक्यों का निर्माण होता है।
- वर्ण विचार– भाषा की मूल इकाई है। वर्णों के योग से बनता है। इसके अंतर्गत वर्णों के ध्वनि चिन्ह, उनके भेद तथा उच्चारण आदि पर विचार किया जाता है।
- शब्द विचार – इसके अंतर्गत शब्दों की रचना, उनके भेद तथा प्रयोग आदि के स्थानों का अध्ययन किया जाता है ।
- वाक्य विचार– इसके अंतर्गत वाक्य के अंग तथा उसके भेद आदि के नियमों का अध्ययन किया जाता है।
हमने पढ़ा की व्याकरण के कितने अंग है (vyakaran ke kitne ang hai)। नीचे संपूर्ण हिंदी व्याकरण के टॉपिक को क्रम से संक्षिप्त रूप में दिया गया है। विस्तृत पढ़ने के लिए आप उस लिंक पर क्लिक करें।
संपूर्ण हिंदी व्याकरण (vyakaran in hindi)
हिंदी व्याकरण को आसानी से समझने के लिए सभी टॉपिक को छोटे-छोटे भागों में वर्गीकृत करके नीचे hindi vyakaran chart दिया गया है। सभी टॉपिक को उदाहरण सहित अच्छे से समझाया गया है जिससे आप आसानी से समझ सके। यह वेबसाइट hindios.in आपको हिंदी व्याकरण सीखने में आपकी पूरी मदद करेगी।
सम्पूर्ण हिंदी व्याकरण सूची
भाषा- जिन ध्वनि चिन्हों द्वारा मनुष्य परस्पर विचार विनिमय करता है, उसको समष्टि रूप से भाषा कहते हैं ।
लिपि– बोलते समय हमारे मुख से ध्वनियाँ निकलती हैं। इन ध्वनियों को लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं।
व्याकरण– व्याकरण वह विधा है, जिससे किसी भाषा का कुछ बोलना, शुद्ध लिखना तथा ठीक-ठीक समझना आ जाए ।
वर्ण – किसी भाषा के शब्द की इकाई को वर्ण अक्षर कहते हैं।
वर्तनी – लिखने की रीति वर्तनी या अक्षरी कहते हैं।
संधि -दो वर्णों के सहयोग से उत्पन्न विकार संधि कहलाती है ।
ध्वनि– भाषा की सबसे छोटी इकाई है। इसके बिना शब्द, वाक्य तथा भाषा की कल्पना असंभव है। वर्ण को व्यक्त करने के लिए ध्वनि-चिन्ह का प्रयोग होता है।
स्वर– जिन वर्णों का उच्चारण किसी दूसरे वर्ण की सहायता के बिना होता है वे स्वर कहलाते हैं।
व्यंजन– जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है उन्हें व्यंजन कहते हैं ।
शब्द- दो या दो से अधिक वर्णों के मेल से बनता है।
वाक्य –दो या दो से अधिक शब्दों के मेल से वाक्य बनता है।
संज्ञा- किसी प्राणी, वास्तु, स्थान, भाव आदि का नाम ही उसकी संज्ञा कही जाती है ।
सर्वनाम- वे शब्द जो संज्ञा के बदले आते हैं सर्वनाम कहलाते हैं।
विशेषण- जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण कहते हैं।
क्रिया- जिन शब्दों से किसी काम का करना या पाया जाता है होना, उसे क्रिया कहते हैं ।
अव्यय- वह अविकारी शब्द है जिसकी रूप में लिंग वचन कारक इत्यादि किसी भी परिवर्तन का प्रभाव नहीं पड़ता।
लिंग- स्त्री और पुरुष जाति का बोध कराने वाले शब्द को लिंग कहते हैं।
वचन- जिस शब्द से किसी वस्तु या प्राणी की संख्या का बोध होता है उसे वचन कहते हैं।
कारक- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उस वाक्य के अन्य शब्द के साथ संबंध स्थापित किया जाता है उस रूप को कारक कहते हैं।
काल- क्रिया के जिस स्वरूप से उसके होने के समय का ज्ञान होता है उसे कल कहते हैं।
विराम चिन्ह– लेखक को अपने विचार को स्पष्ट करने के लिए कुछ चिन्हों का प्रयोग करना पड़ता है उन्हीं को विराम चिन्ह कहते हैं।
पर्यायवाची- शब्द – समान अर्थ देने वाले शब्द समानार्थी या पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
विलोम शब्द- जो शब्द आपस में विपरीत अर्थ बताये उसे विपरीतार्थक अथवा विलोम शब्द कहलाते हैं।
तत्सम शब्द– संस्कृत के मूल शब्द हिंदी में प्रयुक्त होने पर तत्सम कहलाते हैं ।
तद्भव शब्द- संस्कृत के शब्द परिवर्तित होकर हिंदी भाषा में सम्मिलित हो गए हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं।
युग्म शब्द – ऐसे शब्द जिनके उच्चारण के समान होते हैं परंतु उनका अलग-अलग होते हैं ।
उपसर्ग- वह शब्दांश जो किसी शब्द से पहले आकर एक विशेष अर्थ को प्रकट करता है उसे उपसर्ग कहते हैं।
प्रत्यय– शब्दों के साथ अथवा उसके बाद लगने वाला शब्दांश प्रत्यय कहलाता है।
समास- समाज का अर्थ संक्षिप्त होता है। दो या दो से अधिक पदों का मिलकर ऑर्थो प्रकट करना समास का प्रयोजन होता है।
रस- जीत का स्वाद लिया जाए या जो आस्वादित हो उसे रस कहते हैं ।
अलंकार- काव्य की शोभा बढ़ाने वाले उपकरणों को अलंकार कहते हैं ।
छंद- लाय, वर्ण अथवा मात्राओं के व्यवस्थित और सुनियोजित अनुपात का नाम छंद है।
पद-बंध– पदबंध वाक्य का वह हिस्सा होता है जिसमें एक से अधिक पद परस्पर जुड़कर अर्थ प्रदान करते हैं ।
मुहावरा- उन वाक्यांशों को कहा जाता है जो सामान्य अर्थ की जगह विलक्षण अर्थ प्रकट करते हैं ।
लोकोक्तियां- लोकोक्तियां अथवा कहा से समाज में प्रचलित कथन होते हैं यह एक पूर्ण वाक्य होता है ।
रचनाएं- विभिन्न लेखकों और कवियों की रचनाएं दी गई है ।
जीवन परिचय – यहां पर लेखकों एवं कवियों का जीवन परिचय दिया गया है।
हिंदी व्याकरण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर [FAQ]
व्याकरण के कितने विभाग होते हैं?
व्याकरण के तीन विभाग होते हैं 1- वर्ण विभाग, 2- शब्द विभाग, 3- वाक्य विभाग
हिंदी व्याकरण का जनक कौन है?
हिंदी भाषा का व्याकरण लिखने का प्रयास बहुत पहले आरंभ हो चुका था। हिंदी व्याकरण के जनक बनारस के दामोदर पंडित को माना जाता है जिनकी द्वारा लिखित द्विभाषिक ग्रंथ उक्ति व्यक्ति प्रकरण है जो 12 वीं शताब्दी के समकालीन है।
हिंदी व्याकरण कैसे सीखे?
यदि आप हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं ऊपर दिए गए टुटोरिअल की मदद से आप सीख सकते हैं।
आशा है कि आपको बताई गई जानकारी व्याकरण की परिभाषा (vyakaran ki paribhasha), व्याकरण के कितने अंग होते हैं (vyakaran ke kitne ang hote hain) समझ में आया होगा और आप ऊपर दिए गए संपूर्ण हिंदी व्याकरण को सीख पाएंगे। यदि आपको कोई भी सुझाव या सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके हमें जरुर बतायें।