यह लेख हिंदी व्याकरण सीरीज का तीसरा अध्याय है. इस अध्याय में हम जानेंगे कि लिपि किसे कहते हैं (lipi kise kahate hain), लिपि कितने प्रकार की होती है, हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है , ध्वनि और लिपि में क्या अंतर है तथा लिपि के उदाहरण इत्यादि .
यदि आप हिंदी व्याकरण सीखना चाहते हैं या हिंदी से संबंधित जानकारियाँ पढ़ना चाहते हैं तो इस वेबसाइट (hindios.in) पर हिंदी से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं, जिसे सरल भाषाओं के प्रयोग करके उदाहरण सहित बताया गया है. आप इसे आसानी से पढ़ सकते हैं.
पिछले अध्याय में भाषा, भाषा के प्रकार, बोली से संबंधित टॉपिक को समझाया गया है. आप उसके बारे में विस्तृत जानकारी ले सकते हैं.
चलिए अब समझते हैं कि Lipi kya hai . क्या आप जानते हैं कि-
लिपि किसे कहते हैं | (lipi kise kahate hain)-
बोलते समय हमारे मुख से ध्वनियाँ निकलती हैं . इन ध्वनियों को लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले चिन्हों को लिपि कहते हैं.
लिपि का अर्थ है: किसी भाषा की लेखन शैली अथवा ढंग. दूसरे शब्दों में- एक भाषा को लिखने के लिए जिन चिन्हों का उपयोग किया जाता है उसे लिपि कहते हैं .
जैसे हिंदी भाषा को लिखने के लिए देवनागरी लिपि का प्रयोग किया जाता है वही अंग्रेजी को लिखने के लिए रोमन लिपि का प्रयोग किया जाता है .
लिपि के उदाहरण(Lipi ke udaharan)– गुरुमुखी(gurmukhi lipi), रोमन लिपि, पंजाबी(panjabi lipi), देवनागरी(devnagri lipi), गुजराती, उड़िया, टाकरी ,कैथी इत्यादि.
अभी हम समझे हैं की लिपि क्या है (lipi kya hai) ? चलिए अब लिपि के महत्व के बारे में प्रकाश डालते हैं और जानते हैं कि हमारे जीवन में लिपि का क्या महत्व है?
लिपि का महत्व
ध्वनियां, जो वाणी से निकल जाती है तथा आकाश में जाकर समा जाती है क्योंकि उनका स्थायित्व नहीं होता है. जब हम किसी को अपने विचारों को समझाना चाहते हैं, तो यदि वह हमारे निकट रहते हैं तो हमारी वाणी से निकली हुई ध्वनियों को सुनकर वह हमारे विचारों को समझ लेते हैं. परंतु यदि वह हमारे निकट ना हो या कहीं दूर दूसरे जगहों पर हो तो वह हमारी ध्वनियों को नहीं सुन पाएंगे. तो इसके लिए ध्वनियों को लिखित रूप देकर हम उन्हें समझा सकते हैं.
इस तरह से अपने विचार विनिमय में स्थायित्व प्रदान करने के लिए तथा दूरस्थ लोगों को लाभान्वित करने के लिए इन ध्वनियों के कुछ चिन्ह बना लिए गए हैं. इन्हीं ध्वनियों चिन्हों के द्वारा मनुष्य हजारों और लाखों मिल दूर रहने वाले लोगों के साथ विचारों का आदान प्रदान कर लेता है. इसी कारण लिपि का विकास हुआ ताकि हम अपने विचारों को लिखित रूप देकर, किसी को भी आसानी से समझा सके और हम अपने विचारों को लिखित रूप देखकर आने वाली पीढ़ियों के लिए भी उपलब्ध करा सकें.
इस प्रकार हमने समझा की लिपि का विकास कैसे हुआ तथा लिपि क्यों जरूरी हैं ? अब आगे हम समझेंगे कि ध्वनि और लिपि में क्या अंतर है? तथा भाषा और लिपि में क्या अंतर है ?
ध्वनि और लिपि में क्या अंतर है?
ध्वनि और लिपि में अंतर निम्नलिखित है-
- ध्वनिया अस्थाई होती है परंतु लिपि स्थाई होती है .
- ध्वनि वाणी से निकलती हैं किंतु ध्वनियों को लिपि के जरिए लिखित रूप दिया जाता है.
- धोनी के जरिए विचारों का आदान-प्रदान निकट में होता है किंतु लिपि के जरिए दूर तक
- वाणी से जो निकलती है ध्वनि कहलाती हैं किंतु जिस रूप में वर्ण लिखे जाते हैं लिपि कहलाती है
भाषा और लिपि में क्या अंतर है?
भाषा और लिपि में अंतर निम्नलिखित है –
- भाषा श्रव्य होती है जबकि लिपि दृश्य .
- भाषा स्वतंत्र होती है जबकि लिपि भाषा पर निर्भर होती है.
- पहले भाषा का विकास होता है फिर लिपि बनती है .
- भाषा और स्थाई होती है जबकि लिपि अपेक्षाकृत स्थाई होती है.
- भाषा छोटी होती है जबकि लिपि भाषा का ही विस्तृत रूप है .
- भाषा विचारों और भावों को ध्वनि संकेतों के माध्यम से व्यक्त करने का एक साधन है जबकि लिपि उसी भाषा को लिखित रूप देने की व्यवस्था.
भाषा और लिपि के अंतर को निम्न उदाहरण से समझ सकते हैं–
1- वह जाता है – इसकी भाषा हिंदी है परंतु लिपि देवनागरी है.
2- Vh jata hai – में इसकी भाषा हिंदी है परंतु लिपि रोमन है .
3- He goes – में इसकी भाषा अंग्रेजी है परंतु लिपि रोमन है .
4- ही गोज – में इसकी भाषा अंग्रेजी है परंतु लिपि देवनागरी .
ऊपर दिए गए उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि लिपि और भाषा में क्या भेद हैं.
लिपि और भाषा में क्या संबंध
भाषा और लिपि एक दूसरे के पूरक होते हैं. विश्व की सभी भाषाओं की अपनी एक लिपि होती है परंतु हम किसी भाषा को कई लिपियों में लिख सकते हैं जैसे हिंदी को देवनागरी, कन्नड़ ,रोमन, गुजराती आदि में लिख सकते हैं.
उसी प्रकार किसी एक लिपि में कई भाषाएं भी लिख सकते हैं जैसे रोमन में अंग्रेजी, हिंदी, फ्रेंच,जर्मन आदि .
क्या आप जानते हैं की लिपि के कितने प्रकार होते हैं (Lipi Ke Kitne Prakar Hain) ? चलिए समझते हैं –
लिपि कितने प्रकार की होती है? (Lipi kitne Prakar ki hoti hai)
भाषाओं को लिखने के लिए लिपि का प्रयोग करते हैं. विश्व में मूल रूप से लिपि तीन प्रकार की ही होती है-
- चित्र लिपि
- अल्फाबेटिक लिपि
- अल्फासिलेबिक लिपि
आइए इन लिपियों को विस्तार से देखते हैं-
चित्र लिपि –
इस लिपि के जरिए लोग अपने विचारों और भाव को चित्र के माध्यम से व्यक्त करते थे.
चीनी लिपि– चीनी
प्राचीन मिस्त्री लिपि– प्राचीन मिस्त्री
कांजी लिपि– जापानी
अल्फाबेटिक लिपि –
इस लिपि में स्वर व्यंजन के बाद ,अपने पूरे रूप के साथ आता है.
यूनानी लिपि– यूनानी भाषा, कुछ गणितीय चिन्ह
इब्रानी लिपि– इब्रानी
रोमन लिपि– अंग्रेजी, फ्रेंच ,जर्मन, मध्य और पश्चिमी यूरोप की सारी भाषाएं
अरबी लिपि– अरबी, उर्दू, कश्मीरी, फारसी
सिरिलिक लिपि– रूसी, सोवियत संघ की सभी भाषाएं
सिलैबिक लिपि –
इस लिपि में इसके प्रत्येक इकाई मेंहदी यह क्या दिन व्यंजन होता है तो उस पर स्वर की मात्रा का चिन्ह लगाया जाता है अगर एक भी व्यंजन ना हो तो सीधे स्वर के चिन्ह का प्रयोग होता है .
द्रविड़ लिपि- मलयालम, तमिल, कोलंबो ,कन्नड़ भाषा
शारदा लिपि- कश्मीरी, पंजाबी, तिब्बती, लद्दाखी भाषा
ब्राह्मी लिपि- हिंदी, गुड़िया, भोजपुरी, काठमांडू ,मारवाड़ी, सिंधी, गढ़वाली भाषा इत्यादि
मध्य भारत की लिपि -तेलुगु भाषा
मंगोलियन लिपि- चीनी, कोरियाई, जापानी, दक्षिण पूर्व सोवियत की भाषा
भारत की 22 भाषाओं के नाम और उनकी लिपि (22 bhasha ki lipi in hindi)
नीचे आपको भारतीय संविधान में स्वीकृत भारत की 22 भाषाएं एवं उनकी लिपिओं की सूची दी गई है-
No. | भाषा का नाम(bhasha ka naam) | लिपि का नाम(lipi ka naam) |
1 | हिंदी | देवनागरी |
2 | सिंधी | देवनागरी/ फारसी |
3 | पंजाबी | गुरुमुखी |
4 | कश्मीरी | फारसी |
5 | गुजराती | गुजराती |
6 | मराठी | देवनागरी |
7 | उड़िया | उड़िया |
8 | बांग्ला | बांग्ला |
9 | असमिया | असमिया |
10 | उर्दू | फारसी |
11 | तमिल | ब्राह्मी |
12 | तेलुगू | ब्राह्मी |
13 | मलयालम | ब्राह्मी |
14 | कन्नड़ | कन्नड़/ ब्रह्मी |
15 | कोंकणी | देवनागरी |
16 | संस्कृत | देवनागरी |
17 | नेपाली | देवनागरी |
18 | संथाली | देवनागरी/ओलचिकी |
19 | डोंगरी | देवनागरी |
20 | मणिपुरी | मणिपुरी |
21 | वोडों | देवनागरी |
22 | मैथिली | देवनागरी/ मैथिली |
ऊपर दिए गए भारत 22 भाषा की लिपियों (22 bhasha ki lipi in hindi) की क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग लिपियां हो सकती हैं. आमतौर पर भाषा और उनकी लिपि में भेद हो सकता है क्योंकि सरकार के पास जो डाटा पहुंचता है उसके अनुसार यह स्वीकृति दी गई है. बाकी पढ़ने लिखने में ऊपर दी गई सूची का ही प्रयोग होता है .
इस प्रकार हम भारत के 22 भाषाओं के नाम तथा उनकी लिपि क्या है के बारे में जाना. चलिए अब देखते हैं कि ब्रेल लिपि क्या है ? और इसके जनक कौन है ?
ब्रेल लिपि (braille lipi in hindi)
ब्रेल लिपि क्या है?
ब्रेल लिपि नेत्रहीन लोगों के पढ़ने और लिखने की एक लिपि है जो उभरे हुए 6 डॉट्स अथवा बिंदु पर आधारित होती है. इसमें 64 अक्षर होते हैं. इसके प्रत्येक आयताकार सेल में 6 उभरे हुए बिंदु दो पंक्तियों में होते हैं .
ब्रेल लिपि के एक डॉट्स की ऊंचाई 0.2 इंच होती है . इसे एक विशेष तकनीक के जरिए अंधे लोग अपनी अंगुलियों को विभिन्न दिशाओं में घुमा कर पढ़ते हैं .
आधुनिक ब्रेल स्क्रिप्ट को 8 डॉट्स पर विकसित कर दिया गया है जिसमें और ज्यादा शब्दों,चिन्हों को पढ़े जाने की सुविधा उपलब्ध है. इस 8 डॉट्स वाली बेल लिपि में 256 अक्षर और चिन्ह होता है. इसमें विराम चिन्ह, गणितीय चिन्ह के अलावा संगीत के नोटेशन भी देखे जा सकते हैं .
ब्रेल लिपि का आविष्कार फ्रांसीसी लेखक लुइस ब्रेल ने 1824 में किया था . लुइस ने जब या लिपि बनाई तो वह मात्र 15 साल के थे .
ब्रेल लिपि के जनक लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी 1809 में फ्रांस में हुआ था. एक एक्सीडेंट मैं इनकी आंखों की रोशनी चली गई थी जब वे 8 वर्ष के थे. उनके द्वारा बनाई गई लिपि आज पूरी दुनिया में मान्य है .
लिपि से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर [FAQ]
ब्रेल लिपि कितने बिंदुओं पर आधारित है?
ब्रेल लिपि छह बिंदुओं पर आधारित होती है .इसके प्रत्येक आयताकार सेल में 6 उभरे हुए बिंदु दो पंक्तियों में होते हैं .
लुई ब्रेल दिवस कब मनाया जाता है?
प्रत्येक वर्ष 4 जनवरी को लुइस ब्रेल दिवस मनाया जाता है ?
ब्रेल लिपि के जन्मदाता कौन है?
ब्रेल लिपि के जन्मदाता फ्रांस के प्रसिद्ध शिक्षक लुइस ब्रेल है जिन्होंने 1824 में ब्रेल लिपि का अविष्कार किया था .
लुई ब्रेल का जन्म कहाँ हुआ था?
लुइस ब्रेल का जन्म 1809 में फ्रांस में हुआ था .
ब्रेल प्रणाली क्या है और यह प्रणाली किसने विकसित की?
बेल प्रणाली नेत्रहीन लोगों के पढ़ने की एक व्यवस्था है जिसे लुइस ब्रेल में विकसित किया था .
braille lipi mein kitne dots sale hote hain?
ब्रेल लिपि में उभरे हुए 6 डॉट्स होते हैं.
इस प्रकार हम इस अध्याय में समझे कि लिपि किसे कहते हैं (lipi kise kahate hain) और यह कितने प्रकार की होती है तथा भाषा और लिपि में क्या अंतर होता है. इसके अलावा हमने ब्रेल लिपि (braille lipi) के बारे में भी पढ़ा.
क्या आप भारत में बोली जाने वाली भाषाओं की लिपियों के बारे में जानते हैं? आगे के लेख में हम ब्राह्मी के देवनागरी लिपि के बारे में विस्तार से जानेंगे .
उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा . यदि अभी भी आपको कोई question हो तो आप नीचे comment करके पूछ सकते हैं .धन्यवाद !
Thank your for sharing such really nice information sir
Thanks Priya for consuming such quality content. keep reading and keep learning.
आपने इस पोस्ट में वर्ण के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी है इसके लिए आपका बहुत बहुत धन्यवादVyakaran
धन्यवाद LK . keep reading.
Great Post Hindi Learners Keep Writing And Good Work For Hindi Learners