वर्ण की परिभाषा | varn ke kitne bhed hai | वर्ण विचार

varn ki paribhasha: जैसा कि आप जानते हैं कि हिंदी व्याकरण के तीन भाग होते हैं – वर्ण विचार, शब्द विचार एवं वाक्य विचार।

आज हम लोग हिंदी व्याकरण के प्रथम खण्ड वर्ण विचार के अंतर्गत वर्ण की परिभाषा और वर्ण के भेद के बारे में विस्तार से जानेंगे।  इसके साथ साथ हम लोग वर्ण एवं वर्ण विचार(varn vichar in hindi) से संबंधित प्रश्न-उत्तर को समझेंगे जो व्याकरण और परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

सबसे पहले समझते हैं कि वर्ण विचार किसे कहते हैं (varn vichar kise kehte hain), उसके बाद वर्ण तथा वर्ण के भेद के बारे में पढ़ेंगे।

varn ki paribhasha

वर्ण विचार (varn vichar ki paribhasha)

वर्ण विचार के अंतर्गत वर्णों के ध्वनि चिन्ह, उनके भेद तथा उच्चारण आदि पर विचार किया जाता है।

यह हिन्दी व्याकरण का पहला भाग है जिसमे भाषा की मूल इकाई ध्वनि ,वर्ण तथा वर्णमाला इत्यादि आते हैं ।

उम्मीद है कि आप वर्ण विचार की परिभाषा को समझ गए हैं चलिए अब वर्ण की परिभाषा एवं इसके भेद को समझते हैं ।

वर्ण की परिभाषा (varn ki paribhasha)

वर्ण या अक्षर, वह छोटी से छोटी ध्वनि इकाई है, जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते;  जैसे- अ, इ, क, ख, ग आदि।

वर्ण भाषा की मूल इकाई है। प्रत्येक शब्द वर्णों के योग से बनता है।

उदाहरण के रूप में ‘आम’ शब्द तीन मूल ध्वनियों से बना है, आ+ म+अ= आम। इन मूल ध्वनियों का खंड नहीं किया जा सकता ।

इस तरह से हम कह सकते हैं कि भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि है। इस ध्वनि को वर्ण कहते हैं । प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है उसी प्रकार हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी हैं, जिनमें 52 वर्ण होते हैं ।

इस तरह से आपने जाना कि वर्ण की परिभाषा क्या होती है चलिए अब वर्ण के भेद के बारे में समझते हैं ।

वर्णमाला (Alphabet)

वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी में उच्चारण के आधार पर 45 वर्ण ( 10 स्वर +35 व्यंजन)  एवं लेखन के आधार पर 52 वर्ण( 13 स्वर + 35 व्यंजन + 4 संयुक्त व्यंजन) होते हैं ।

प्रत्येक भाषा की अपनी वर्णमाला होती है।  उदाहण के रूप में –

  • अंग्रेजी भाषा – A, B, C, D, E….

varn ke kitne bhed hai (वर्ण के कितने भेद होते हैं)

उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिंदी वर्णमाला में वर्ण के दो भेद होते हैं- 

  1. स्वर (vowel)
  2. व्यंजन (consonants)

यहां पर हम स्वर और व्यंजन की परिभाषा तथा उनके प्रकार को  समझेंगे।

स्वर की परिभाषा (Swar ki paribhasha)

जिन वर्णों का उच्चारण किसी दूसरे वर्ग की सहायता के बिना होता है, वे स्वर कहलाते हैं;  जैसे- अ,इ, उ  इत्यादि।

हिंदी भाषा में मूल रूप से स्वरों की संख्या ग्यारह है । ग्यारह स्वर के वर्ण- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ऋ, ओ, औ हैं। प्रारंभ में स्वरों की संख्या 14 थी, जिनमें से ॠ,लृ,लृृृृ का प्रयोग अब नहीं होता है।

स्वर कितने प्रकार के होते हैं

उच्चारण काल के आधार पर स्वर के तीन प्रकार होते हैं –

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुप्त स्वर

1. ह्रस्व स्वर- जिस से स्वर के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है, उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है ।

ह्रस्व स्वर वर्ण – अ, इ, उ, ऋ।

2. दीर्घ स्वर – जिन स्वर के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगता है उसे दीर्घ स्वर कहते हैं ।

दीर्घ स्वर वर्ण- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ ,औ

अंतिम चार वर्णों को संयुक्त स्वर भी कहते हैं क्योंकि यह दो स्वरों के मेल से बनते हैं । उदाहरण- अ+इ=ए अ+ए=ऐ अ+उ=ओ अ+ओ=औ

3. प्लुत स्वर – दिन स्वर के उच्चारण में तीन या उससे अधिक मात्राओं का समय लगता है उसे प्लुत स्वर कहते हैं। 

उदाहरण के रूप में जब किसी व्यक्ति को दूर से पुकारते हैं तो संबोधन पद के अंतिम वर्ण को तीन मात्रा से अधिक समय लगाकर बोलते हैं  जैसे- रा … म इत्यादि।

आशा करता हूं कि आपको स्वर की परिभाषा तथा स्वर(swar varn) के प्रकार समझ में आए होंगे । चलिए अब व्यंजन की परिभाषा तथा उसके प्रकार के बारे में समझते हैं ।

व्यंजन की परिभाषा (Vyanjan ki paribhasha)

जिन वर्णों का उच्चारण स्वर की सहायता से किया जाता है, व्यंजन कहते हैं; जैसे- क्, च्, ट्, त्, प् आदि। 

हिंदी में व्यंजन वर्णों की संख्या 33 है।

व्यंजन के कितने प्रकार होते हैं

व्यंजन वर्णों को तीन भागों में विभाजित किया जाता है-

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अन्तःस्थ  व्यंजन
  3. ऊष्म  व्यंजन
व्यंजन के प्रकार

1. स्पर्श व्यंजन-  क वर्ग,  च वर्ग, ट वर्ग, त वर्ग, प वर्ग स्पर्श व्यंजन है।  इनका उच्चारण प्रमुख क्रमशः कंठ, तालु, मूर्द्धा, दन्त्य, ओष्ठ इत्यादी के जीभ के अग्र भाग के स्पर्श से होता है।

2. अन्तःस्थ व्यंजन- य, र, ल और  व चार अन्तःस्थ व्यंजन हैं। इन्हें स्वर तथा व्यंजन के बीच स्थित माना जाता है।

3. ऊष्म  व्यंजन- श,ष, स तथा ह ऊष्म व्यंजन वर्ण है। जिनका का उच्चारण घर्षण के उपरांत सुषमा वायु निष्कासन से होता है।

इन वर्णों के अतिरिक्त अनुस्वार( ं) , विसर्ग(ः) तथा अनुनासिकता(ँ) का प्रयोग भी होता है, उन्हें अयोगवाह वर्ण कहा जाता है । अयोगवाह वर्ण की गणना न तो स्वर में होती है और ना ही व्यंजन में ।

संयुक्त वर्ण(sanyukt varn)- क्ष, त्र, ज्ञ तथा श्र संयुक्त वर्ण कहलाते हैं। यह व्यंजन के मेल से बने होते हैं ।इन्हें नीचे समझाया गया है ।

क् + ष = क्ष

त् + र = त्र

ज् + ञ = ज्ञ

श् + र = श्र

नोट– ड़ तथा ढ़ द्विगुण व्यंजन भी होते हैं जो हिंदी के व्यंजन है ।

 इस प्रकार इस प्रकार हम लोगों ने वर्णमाला तथा हिंदी में स्वर और व्यंजन की परिभाषा एवं उनके प्रकार के बारे में विस्तार से पढ़ा।

वर्ण तथा वर्ण विचार से संबंधित प्रश्न उत्तर [FAQ] 


संयुक्त वर्ण किसे कहते हैं?

वे वर्ण जो व्यंजनों के मेल से बनते हैं संयुक्त वर्ण कहलाते है। उदाहरण- क्ष, त्र, ज्ञ, श्र।

स्वर वर्ण कितने होते हैं?

हिंदी में स्वर वर्णों की संख्या 11 होती है ।

वर्ण कितने प्रकार के होते हैं उनके नाम?

हिंदी में वर्ण दो प्रकार के होते हैं स्वर और व्यंजन।

हिंदी वर्णमाला में कितने वर्ण होते हैं?

हिंदी वर्णमाला में 52 वर्ड होते हैं ।

वर्णों के सार्थक मेल को क्या कहते हैं?

वर्णों के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं ।

vyanjan varn ki sankhya kitni hai?

हिंदी भाषा में व्यंजन वर्ण की संख्या 33 होती है ।

वर्ण या अक्षर किसे कहते हैं

जब हम बोलते हैं तो हमारे मुख से ध्वनियों का उच्चारण होता है, इन्हीं ध्वनियों को जब लिखित रूप दते हैं तो इन्हे वर्ण या अक्षर कहा जाता है।

अक्षर तथा ध्वनि में क्या अंतर है?

जब हम बोलते हैं तो हमारे मुख से ध्वनि निकलती है जिनको हम केवल बोल और सुन सकते हैं और जब उन ध्वनियों को लिखित रूप दिया जाता है तो उसे अक्षर कहा जाता है ।

वर्णों के समूह को क्या कहते हैं?

वर्णों के समूह को वर्णमाला कहते हैं।

हिंदी में वर्णों की कुल संख्या कितनी है?

लेखन के आधार पर हिंदी में वर्णों की कुल संख्या 52 होती है ।

मुझे उम्मीद है कि आपको वर्ण की परिभाषा तथा वर्ण के कितने भेद होते हैं पर लिखा हुआ यह लेख समझ में आया होगा। जिससे आप अपने हिंदी व्याकरण के ज्ञान को थोड़ा और बढ़ा पायेंगे तथा आपको हिंदी व्याकरण से जुड़े प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नों को हल करने में आसानी होगी ।

यदि आपको हिंदी व्याकरण के इस प्रथम खंड, वर्ण विचार (varn vichar in hindi) या कोई और टॉपिक अच्छे से स्पष्ट नहीं हुआ हो या कोई सुझाव हो तो आप हमें निचे comment करके बता सकते हैं।

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